राजनीतिक नियुक्तियों के घमासान का हुआ युद्धविराम

राजनीतिक नियुक्तियों के घमासान का हुआ युद्धविराम
एडीए सदर और  मेला विकास प्राधिकरण को लेकर जोर आजमाइश, स्थानीय निकायों में मनोनीत पार्षदों की दौड़
-सीताराम पाराशर
पुष्कर। प्रदेश में पंचायत चुनावों की घोषणा से अंतिम चरण में चल रहा राजनीतिक नियुक्तियों का घमासान फिलहाल टल गया है। हालांकि अब तो पंचायत चुनावों की आचार संहिता लग चुकी है, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गहलोत सरकार ने पहले ही मन बना लिया था कि राजनीतिक नियुक्तियों को पंचायत चुनाव तक टाला जाए। कांग्रेस संगठन ने पार्टी नेताओं को मेहनत करो और इनाम पाओ का फार्मूला थमा दिया है। यह सही है कि शहरी क्षेत्र के नेताओं का पंचायत चुनावों में ज्यादा वर्चस्व नहीं होता, फिर भी पार्टी अपने शहरी नेताओं को भी पंचायत चुनाव में जिम्मेदारी दे रहे हैं। दूसरी तरफ जानकार मानते हंै कि राजनीतिक नियुक्तियां टालने के सियासी कारण कुछ और ही हंै। अगर पार्टी पंचायत चुनावों से पहले राजनीतिक नियुक्तियां करती तो पार्टी को पंचायत चुनावों में गुटबाजी के चलते बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता था।
अजमेर में एडीए सदर की लड़ाई
प्रदेश में वैसे तो कई राजनीतिक नियुक्तियां होनी है, लेकिन अजमेर शहर के कांग्रेस नेताओं में एडीए सदर को लेकर दौड़ चल रही है। इस दौड़ में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले पूर्व विधायक डॉक्टर श्रीगोपाल बाहेती, विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत आग्रह पर चुनाव मैदान से हटने वाले पूर्व मंत्री ललित भाटी, दमदार कांग्रेसी नेता डॉक्टर राजकुमार जयपाल और अजमेर उत्तर में पार्टी के बड़े सिंधी चेहरे दीपक हासानी शामिल हैं। माना जा रहा है कि इस दौड़ में बाहेती और भाटी आगे बढ़ चुके थे, लेकिन पंचायत चुनावों ने फिलहाल सबकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। पंचायत चुनावों के बाद नए सिरे से प्रयास शुरू होंगे।
मेला विकास प्राधिकरण को जीवित करने के प्रयास
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में पुष्कर मेले के समापन समारोह में प्रदेश भर के मेलों के विकास के लिए मेला विकास प्राधिकरण बनाने की घोषणा की थी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही मेला विकास प्राधिकरण ने दम तोड़ दिया, लेकिन अब गहलोत के फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही विशेष रूप से पुष्कर के नेता मेला विकास प्राधिकरण को सजीव कर उस पर काबिज होने को लेकर जोर आजमाइश में लग गए हैं। पूर्व मंत्री नसीम अख्तर और पूर्व पालिकाध्यक्ष दामोदर शर्मा ने इस दौड़ को दिलचस्प बना दिया है। हालांकि अभी दूर-दूर तक मेला विकास प्राधिकरण का अस्तित्व नजर नहीं आ रहा।
मनोनीत पार्षद के लिए भी बढ़ा इंतजार 
पंचायत चुनावों के चलते शहरी निकायों में बिना चुनाव लड़े पार्षद बनने का सपना संजोये नेताओं की उम्मीद पर भी पानी फेर दिया, विशेष रूप से जिन निकायों में हाल ही में चुनाव सम्पन्न हुए हंै, वहां यह दौड़ अंतिम चरण में थी, लेकिन अब फिर से दौड़ लगानी होगी। पुष्कर नगर पालिका में भी पांच मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति को लेकर पूर्व मंत्री नसीम अख्तर गुट, ब्लॉक अध्यक्ष मंजू कुर्डिया गुट और पूर्व पालिकाध्यक्ष दामोदर शर्मा गुट ने अपने-अपने नाम आलाकमान को दे दिए थे। दोनों ही गुटों ने इस दौड़ को जीतने के लिय जयपुर तक आला नेताओं के दरबार में हाजिरी लगा दी थी। दोनों ही गुटों की ओर से इस लड़ाई को जीतने के लिए  तरकश के हर तीर को छोड़ा जा रहा था। इस बीच पंचायत चुनावों की घोषणा से फिलहाल युद्धविराम हो गया है। जानकारी के अनुसार जहां पूर्व मंत्री नसीम अख्तर और पूर्व पालिकाध्यक्ष दामोदर शर्मा ने अपने-अपने समर्थकों के 25-25 नाम भेजे हैं। जहां नसीम अख्तर की सूची में अधिकांश वो लोग शामिल हैं, जिन्हें उनके कहने पर नगर पालिका चुनावों में टिकिट मिला था, लेकिन चुनाव नहीं जीत पाए या ऐसे लोग शामिल हैं, जिनको अख्तर टिकिट दिलाना चाहती थी, लेकिन नहीं दिला पाई। वहीं शर्मा गुट में भी ऐसे कई लोग शामिल हैं, जो चुनाव लडऩे का अरमान पाले थे, पर टिकिट नहीं मिल पाया। वहीं शर्मा गुट ने नगर कांग्रेस, युवक कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल, एनएसयूआई, एससी मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा सहित अन्य अग्रिम संगठनों से मिले-जुले नामों के लोग शामिल हैं।