अवैध तरीके से शराब बिक्री कब होगी बंद?


किशनगढ़ उपखंड क्षेत्र में शराब माफियाओं के हौसले बुलंद, मिलीभगत और सैटिंग से धड़ल्ले से रात्रि में बिकती है शराब तो दिन में भी एमआरपी से अधिक चार्ज वसूलते सेल्समैन
- जितेन्द्र कुमार जैन
मदनगंज-किशनगढ़। भले ही राज्य सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत शराब माफिया पर अंकुश लगाने के लिए सार्थक कदम उठाए हों, लेकिन किशनगढ़ उपखंड क्षेत्र में तो स्थिति विकट ही है। मिलीभगत और सैटिंग के खेल के चलते शराब माफिया न केवल तय समय के बाद रात्रि में धड़ल्ले से खुलेआम अवैध तरीके से शराब बेच रहे हैं, बल्कि दिन में भी एमपीआर से भी ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं। लगातार शिकायतों के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं करना मिलीभगत के खेल को प्रमाणित करता है। ज्ञात रहे कि सरेराह टीम द्वारा किशनगढ़ उपखंड क्षेत्र में शराब माफियों द्वारा की जा रही लूटमार के बारे में लगातार खबरें प्रकाशित करते हुए जिम्मेदारों को चेताने का प्रयास भी किया, लेकिन जेबें गर्म होने के चलते जिम्मेदार मामले से पूरी तरह अनजान बने हुए हैं। सरेराह ने रात्रि में शराब ठेकों पर लूटमार का खेलÓ तीन शहरों की निगरानी का जिम्मा, सेना नगण्यÓ ड्राई-डे फिर भी धड़ल्ले से बिक्रीÓ शीर्षक से खबरें प्रकाशित करते हुए शहर में शराब ठेकों पर धड़ल्ले से उड़ती नियमों की धज्जियां के बारे में बताया था। लगातार खबरें प्रकाशन के बाद भी पुराने बस स्टैंड के पास, खोड़ा गणेश रोड, हाउसिंग बोर्ड के पास, लिंक रोड के पास, पुरानी मिल चौराहा, गांधीनगर स्थित कुचील रोड पुलिया के नीचे, मकराना चौराहा, किशनगढ़ शहर में अरांई रोड, हाईवे किनारे सहित अन्य जगह स्थित ठेकों पर लूटमार का खेल यथावत जारी है। एक तरफ जहां दिन में ही सेल्समैन शराब पर प्रिन्ट एमआरपी से अधिक 20-30 रुपए ज्यादा वसूल रहे हैं, वहीं रात्रि में तो सेल्समैन की मर्जी ही शराब की ब्रांड की कीमत तय करती है। ऐसा नहीं है कि सुरा प्रेमियों द्वारा विरोध नहीं जताया जाता है, लेकिन दिन में तो 20-30 रुपए शराब को रखने और अन्य खर्चों के बारे में बताते हुए शांत कर दिया जाता है, वहीं रात्रि में तो ग्राहक को ही रवाना कर दिया जाता है, ऐसे में मजबूरी में ग्राहक भी न चाहते हुए इस लूटमार का शिकार हो ही जाता है। रात्रि में प्रत्येक ठेके के बाहर ही सेल्समैन खड़ा होकर शराब पीने वालों से सर्विस शुल्क के रूप में डबल चार्ज वसूलकर चांदी कूटी जा रही है। बताया जाता है कि ठेके पर होने वाली लूटमार की एवज में प्रति ठेका डंडा करने वाले अधिकारियों के यहां बंधी पहुंचाई जाती है। ऐसे में शराब माफियाओं के हौसले दिनोदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। पिछले दिनों सरकार द्वारा आबकारी नियमों में बदलाव करते हुए राज्य में शराब की अवैध तरीके से की जाने वाली बिक्री पर अंकुश लगाने के सार्थक कदम उठाए, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी पूर्व में तय गाइड लाइन की पालना ही नहीं करवा पा रहे हंै तो फिर नई नियमों की पालना तो रामभरोसे ही है।