पुष्कर पर भारी रहा मन्दिरबन्दी का पहला दिन


चौखट पर सिर टेककर निराश लौटे श्रद्धालु
पुष्कर,(निसं.-सरेराह)। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए मंदिरों की नगरी पुष्कर में अघोषित मन्दिरबन्दी का पहले दिन ही बहुत भारी रहा। हालांकि धार्मिक नगरी के सभी मंदिर पूरी तरह बंद नहीं हंै, लेकिन कस्बे की लाइफलाइन कहे जाने वाले विश्व के एकमात्र जगतपिता ब्रह्मा मंदिर को पुरातत्व विभाग के निर्देशानुसार दर्शानार्थियों की लिए बन्द किये जाने से कस्बे का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया। जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के बंद होने के बाद की पहली सुबह बयां कर रही थी कि आगे हालात कितने बिगड़ सकते हैं। जानकारों के अनुसार इतिहास में यह पहला मौका है, जब इस तरह मंदिर को दर्शनार्थियों के लिये बन्द किया गया है। जिन श्रद्धालुओं को मंदिर बन्द की जानकारियां समाचार पत्र या सोशल मीडिया के जरिये पता चल गई, उन्होंने तो अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया, लेकिन जो श्रद्धालु बीती रात आ चुके थे या रास्ते में थे, उन्हें एलसीडी पर जगतपिता के दर्शन कर बाहर से हाथ जोड़कर निराश ही वापस लौटना पड़ा। वहीं नए रंगजी मंदिर सहित दूसरे मंदिरों के प्रबंधन ने भी एहतियात के तौर पर 31 मार्च तक मंदिरों को दर्शनार्थियों के लिए बन्द कर दिया। मंदिर बन्द होने से आमतौर पर पुष्कर के सबसे व्यस्ततम मुख्य बाजार में भी अघोषित कफ्र्यू जैसे हालात रहे। सड़कों पर सन्नाटा पसरा था और  सरोवर के घाट भी सूने थे। इस तरह मंदिरों की नगरी के नाम से जाने वाले पुष्कर के लिए अघोषित मन्दिरबन्दी का पहला दिन ही बहुत भारी रहा।
बांदनवाड़ा। कस्बे के कपड़ा व्यापारी एसोसिएशन द्वारा भगवान श्री सत्यनारायण मंदिर कमेटी को तीन पंखे भेंट किए, साथ ही संपत राज नियारा वाले ने भी दो पंखे भेंट किए, जिस पर अध्यक्ष भंवरसिंह राठौड़ ने दानदाताओं का आभार प्रकट करते हुए स्वागत किया। इस मौके पर कमल किशोर शर्मा, मनीष राजपुरोहित, सुभाष कुमावत, जितेंद्र टेलर, दिनेश टेलर, पंकज जैन सहित व्यापारीगण उपस्थित थे।